बीकानेर। वर्तमान में सता प्राप्ति के लिये जहां जातिय आधार पर टिकटों का वितरण व जातिय कार्ड खेलकर चुनाव जीतने की परम्परा चल पड़ी है। वहीं बीकानेर की स्थापना में एक ऐसा किस्सा भी है। जो इतिहास के पन्नों में जातिय बंधन की मुक्ति के मील का पत्थर साबित हुआ। ये अलग बात है कि आने वाली पीढिय़ों ने उन परम्पराओं का निर्वहन नहीं किया। परम्पराओं को जीवंत रखने वाले बीकानेर में आज 40 साल बाद एक बार फिर एक ऐसी परम्परा की शुरूआत हुई है। जो दो समाजों में आई दूरियों को पाटने का काम करेगी। इतना ही नहीं इस परम्परा के चालू रहने से सामाजिक सौहार्द्र भी मजबूत होगा। जी हां ऐसा अनूठा नजारा आज बीक ानेर में देखने को मिला। जब 40 साल बाद एक बार फिर राजपूत और जाट समाज के लोगों ने एक जाजम पर बैठकर एक साथ बैठकर मीठा खीचड़ा खाया। पूर्व उपराष्ट्रपति भैरा सिंह शेखावत के नातिन और पूर्व विधायक नरपतसिंह राजवी के बेटे अभिमन्युसिंह राजवी ने बीकानेर राज परिवार की इस परंपरा को वापस शुरू करने का प्रयास किया है। इसमें जाट समाज की सात बिरादरी के लोगों के अलावा दोनों समाज के अन्य प्रमुख लोगों को भी न्यौता देकर बुलाया गया। इसके लिए लूणकरणसर तहसील के शेखसर और रुणिया बड़ा बास में रहने वाले पांडु गोदारों के अलावा, बेनीवाल, कस्वां, सहारण, सींवर, पूनिया और सियाग जातियों के लोगों को आमंत्रण दिया है। जिन्होंने साथ बैठकर खींचड़ा खाया। वर्षों बाद शुरू हुए इस आयोजन के सागर आश्रम के शिवबाड़ी मठ के अधिष्ठाता विमर्शानंद महाराज,सरजूदास महाराज,भाजपा जिलाध्यक्ष सुमन छाजेड़,श्रीडूंगरगढ़ के पूर्व पालिकाध्यक्ष छैलू सिंह,करणी राजपूत सेना के अध्यक्ष करणप्रताप सिंह सिसोदिया,जितेन्द्र सिंह राजवी सहित बड़ी संख्या में अनेक समाज के गणमान्य मौजूद रहे।
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