एंकर – अब जेल में कैदी फोन का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे। जेल प्रशासन ने मोबाइल टावर हारमोनियस कॉल ब्लॉकिंग सिस्टम ने काम शुरू कर दिया है। जिससे आउटगोइंग-इनकमिंग कॉल पर अंकुश लग गया है। बंदी चोरी-छिपे मोबाइल पर बात नहीं कर पाएंगे। बीकानेर जेल प्रशासन बंदियों के पास चोरी-छिपे मोबाइल पहुंचने और उससे बाहर बात करने की समस्या से परेशान रहते थे लेकिन अब इस समस्या से छुटकारा मिल जाएगा। बंदियों के पास मोबाइल होने के बावजूद वे बात नहीं कर पाएंगे।
विओ – दरअसल जेल में पुराने जैमर केवल 2G या 3G नेटवर्क को ही ब्लॉक कर पाते थे लेकिन टीएचसीबीएस 4जी और 5जी जैसे आधुनिक नेटवर्क को भी ब्लॉक करेगा। गौरतलब है कि बीकानेर केन्द्रीय कारागृह सहित प्रदेश की अन्य जेलों में बंदियों के पास मोबाइल पहुंचने की सबसे बड़ी समस्या है जिससे वे जेल में होने के बावजूद बाहर बात कर आपराधिक वारदातों को अंजाम देते हैं, गैंग चलाते हैं। बीकानेर रेंज के तत्कालीन आईजी ओमप्रकाश ने खुलासा किया था कि बीकानेर जेल के बंदियों के पास मोबाइल है जो बाहर करीब 800 से ज्यादा लोगों के संपर्क में हैं। अब जेल प्रशासन और मोबाइल कंपनियों के बीच एक एमओयू किया गया है। इस एमओयू के मुताबिक केन्द्रीय जेलों में टॉवर बेस्ड हारमोनियम कॉल ब्लॉकिंग सिस्टम लगाया गया है। इस सिस्टम से जेल में बंदियों को रखे जाने वार्ड-बैरक के एरिया में मोबाइल की आउटगोइंग-इनकमिंग कॉल पूरी तरह ब्लॉक हो जाएगी। जेल प्रशासन ने यह एमओयू करने से पहले पंजाब और दिल्ली के तिहाड़ जेल में लगे टीएचसीबीएस सिस्टम के बारे में जानकारी जुटाई। अधिकारियों को वहां भेजा और उसकी प्रभावशीलता जानने के बाद जियो, एयरटेल, बीएसएनएल और वोडाफोन मोबाइल कंपनियों से एमओयू किया है। बीकानेर और जोधपुर के केन्द्रीय कारागृहों में यह सिस्टम लग चुका है और जल्दी ही अन्य केन्द्रीय कारागृहों में भी लगेगा।
