शीतला सप्तमी शहर समेत समूचे जिले में श्रद्धा पूर्वक मनाई गई। शहर में शीतला गेट स्थित शीतला माता के मंदिर क्षेत्र में शीतला सप्तमी का मेला भरा। जिसमें शहर व आसपास गांवों के लोगों ने उत्साह के साथ भाग लिया।
वहीं गली गली गर्दभ की पूजा अर्चना कर परिवार के स्वास्थ्य को लेकर दुआ मांगी। मंदिर के बाहर मेला भरा, जिसमें खाने-पीने, महिलाओं के शृंगार की वस्तुओं व बच्चों के खिलौनों की दुकानें लगी। खास तौर पर महिलाओं ने जमकर खरीदारी की। बच्चों को खिलौने दिलाए। अधिकतर महिलाओं ने भोग लगाने के बाद घर पहुंचकर मां की कथा सुनी।
शीतला सप्तमी को लेकर यह है मान्यता
ऐसी मान्यता है कि शीतला माता को प्रसन्न रखने से घर में चेचक की बीमारी नहीं आती है। इसलिए चैत्र कृष्ण सप्तमी के दिन शीतला माता का पूजन कर एक या दो दिन पूर्व बना भोजन का शीतला माता को भोग लगाकर खाने से मां प्रसन्न होती है एवं वर्ष पर्यन्त बच्चे स्वस्थ रहते हैं। चेचक, फोड़े-फुंसी एवं गर्मी जनित अन्य बीमारियां नहीं होती। इसी मान्यता के साथ लोग ठंडा खाना खाते हैं। घर में दो ईंट रखकर ओरी माता एवं शीतला माता का पूजन करने की भी विशेष परम्परा है। दोनों माताओं के प्रतीक के रूप में रखी ईंट को पनघट के पानी के पास ठंडे स्थान पर स्थापित कर पूजा-अर्चना की जाती है

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