बीकानेर। राजस्थानी लोक संस्कृति व पोशाक के बारे में बात करें तो सबसे पहले साफ ा या पगड़ी ही आँखों के सामने आती हैं,राजस्थान पगडिय़ों का ही प्रदेश हे आज के समय में कोई भी सामाजिक अथवा धार्मिक आयोजन बिना पगड़ी के सम्पन्न नहीं होता है ,इसलिए हमारे जीवन का पगड़ी या साफा विभिन्न अंग बन गया है। ये उद्गार सागर आश्रम के अधिष्ठाता पं रामेश्वरानंद महाराज ने व्यक्त किये। वे आज क्षत्रिय सभा बीक ानेर के द्वारा आयोजित आत्मरक्षा व धोती-साफा ग्रीष्मकालीन प्रशिक्षण शिविर आज से स्थानीय बीदासर हाउस में शुभारंभ अवसर पर बोल रहे थे। उन्होनें कहा कि हमारी संस्कृति को हमें भूलना नहीं चाहिए। विशिष्ट अतिथि बीएसएफ के पूर्व डीआईजी पुष्पेन्द्र सिंह ने कहा कि पगड़ी-साफा राजस्थान की आन बान और शान है। जो हमें विशिष्ट पहचान देती है। युवा पीढ़ी को इसका प्रशिक्षण अनूठी पहल है। साथ ही महिलाओं को आत्मरक्षा का गुर सीखाना भी आवश्यक है। उन्होंने कहा कि संकट क ाल में खुद की सुरक्षा बिना आत्मविश्वास के नहीं की जा सकती। दरअसल,आत्मरक्षा के सभी उपायों के प्रभावी ढंग से इस्तेमाल के लिए आत्मविश्वास सबसे जरूरी है। छात्राएं अगर छोटी-छोटी बातों को नजरअंदाज करने की बजाय आत्मविश्वास से प्रतिकार करना सीख लें तो कई समस्याओं का समाधान आसानी से हो जाएगा। क्षत्रिय सभा के अध्यक्ष करण प्रताप सिंह सिसोदिया ने बताया कि सात दिवसीय शिविर में बीकानेर के दक्ष व नामी गिरामी साफा हाउस रजवाड़ी ग्रुप के प्रबंधक संदीप सिंह राठौड़ व उनकी टीम द्वारा प्रशिक्षार्थियों को साफा एवं धोती बांधने का प्रशिक्षण दे रही है। वहीं आत्मरक्षा प्रशिक्षण के लिए बीकानेर की बालिकाओं एवं महिलाओं को आत्मरक्षा का प्रशिक्षण देने के लिए जोधपुर से दक्ष प्रशिक्षकों के रूप में दो महिलाएं प्रशिक्षण प्रदान करने बीकानेर आई हैं। आत्मरक्षा प्रशिक्षण शिविर की संयोजिका उषा कंवर ने बताया की बीकानेर की लगभग 70 बालिकाएं एवं महिलाएं को सात दिनों तक आत्मरक्षा का प्रशिक्षण दिया जाएगा।कार्यक्रम का संयोजन करते हुए क्षत्रिय सभा के प्रवक्ता प्रदीप सिंह चौहान ने बताया क ी सभा हर वर्ष इस प्रकार के लाभकारी शिविरों का आयोजन करती रहती है जो की सर्व समाज के लिए किया जाता है ।

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