राजस्थान के कोटा में गुजराती जेठी समाज के पहलवानों ने रौंदा रावण और मंदोदरी का पुतला
150 सालों से निभाई जा रही है यह परंपरा
कोटा
राजस्थान के कोटा में आज गुजराती जेठी समाज ने विजयदशमी का पर्व अपनी 150 साल पुरानी परंपरा निभाते हुए मनाया। बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक रावण का वध पांवों से जेठी समाज के पहलवनों ने किया।
जेठी समाज की हाडौती में संख्या बहुत कम है। लेकिन विजयदशमी पर जेठी समाज रावण का वध अलग तरीके से करके अपनी मौजूदगी दर्ज करवा देता है।
विजयदशमी के मौके पर जहां आज देश में रावण के पुतले के दहन की तैयारियां की जा रही है। वहीं राजस्थान में कोटा के नांता इलाके में जेठी समाज के लोगों ने हर साल की तरह इस साल भी मिट्टी का रावण बनाकर उसको पैरों से रोंदकर बुराई के प्रतीक का अंत किया।
यहां पर यह रावण कुछ अलग है। यहां रावण बहुत बडा तो नहीं बनाया गया है। लेकिन पेशेवर पहलवान जाति के लोगों की पुरानी परम्परा है कि जेठी समाज के लोग नवरात्रा के शुभारम्भ में ही मंदिर में मिट्टी का रावण बनाते हैं और बुराई के प्रतीक को आज यानी दशमी के दिन पैरों से रोंदकर उस मिटटी पर पहलवान जोर-अजमाइश कर विजयदशमी का पर्व कुछ इस अंदाज में मनाते हैं।
दरअसल हाडौती में हाडा राजाओ का शासन था और राजाओ को कुश्ती देखने का बडा शोक था यही वजह है करीब 150 साल पहले यहां के राजा कुछ पहलवान गुजरात से कोटा बुलवाते थे और उनकी कुश्ती करवाई जाती थी, यह सिलसिला सालों तक चलता रहा और जेठी समाज का कुनबा भी बढता गया और यही पहलवान जाति जो दंगल करने के नाम से जानी जाती है। पहलवान आज के दिन उसी शिद्दत से कुश्ती करते है जैसे उनके पुर्वज करते आ रहे थे। बुराई के प्रतीक को पैरो से रोंदने की इस अनूठी परम्परा को देखने के लिए बड़ी तादाद में स्थानीय निवासी और जेठी समाज की महिलाएं और बच्चे भी इस आयोजन में शामिल होते हैं।
