होलिका दहन के दूसरे दिन से चल रहे 34 दिवसीय गणगौर पूजन उत्सव में बुधवार को बारहमासा गणगौर पूजन उत्सव संपन्न हो गया। घर-घर बारहमासा गणगौर प्रतिमाओं का पूजन कर पानी पिलाने व खोळा भरने की रस्म हुई। रियासतकालीन परंपरा के तहत जूनागढ़ प्रांगण में बारहमासा गणगौर का मेला भरा। पूर्व बीकानेर राज परिवार व रायसिंह ट्रस्ट की ओर से यहां पहुंची सभी गणगौर प्रतिमाओं के खोळा भरने की रस्म निभाई गई। जूनागढ़ में भरे मेले में शामिल होने के लिए गणगौर प्रतिमाएं ढोल-ताशों की लयबद्ध आवाजों और पारंपरिक गीत-नृत्यों के साथ जूनागढ़ पहुंचीं। महिलाओं ने अपने सिर पर गणगौर प्रतिमाओं को विराजित कर रखा था। बालिकाएं व युवतियां गणगौर प्रतिमाओं के आगे नृत्य करती हुई जूनागढ़ पहुंचीं।
पारंपरिक वस्त्र-आभूषणों से शृंगारित
बारहमासा गणगौर प्रतिमाओं को पारंपरिक वस्त्र और आभूषणों से श्रृंगारित कर जूनागढ़ लाया गया। ईसर की प्रतिमाओं को राजस्थानी साफा,कलंगी, हार,कुंडल,कडा,राजस्थानी वेशभूषा से श्रृंगारित किया गया। वहीं गवर की प्रतिमाओं को राजस्थानी वेशभूषा,हार,मंगलसूत्र,नथ,बोरिया,भुजबंद,कंदोला, मटरिया,बाली सहित पारंपरिक आभूषणों को श्रृंगारित कर मेले में लाई गई। भाईया की प्रतिमाएं भी पारंपरिक वस्त्र-आभूषण से श्रृंगारित रहीं। जूनागढ़ प्रांगण में कई महिलाओं ने गणगौर प्रतिमाओं को अपने सिर पर विराजित कर पारंपरिक गणगौरी नृत्य किए। ढोल-ताशों के बीच हुए इन नृत्यों के लिए महिलाओं में उत्साह रहा। वहीं गणगौर प्रतिमाओं के जूनागढ़ आने व पुन: जाने के दौरान मार्गों पर भी गणगौर नृत्य करती महिलाएं चलती रही।

खोळा भरने की रही होड़
जूनागढ़ मेले के दौरान पूर्व बीकानेर राज परिवार व रायसिंह ट्रस्ट की ओर से गणगौर प्रतिमाओं का खोळा नारियल,मिठाई व नकद राशि से भरा गया। इस दौरान बड़ी संख्या में मौजूद महिलाओं में भी गणगौर प्रतिमाओं का खोळा भरने की होड़ सी लगी रही। महिलाओं ने श्रद्धा भाव के साथ गणगौर प्रतिमाओं का पताशा,मिठाई,नारियल,सुहाग सामग्री,नकद राशि से खोळ भराई की रस्म की। कई महिलाओं ने गवर की प्रतिमाओं को धोती भी ओढ़ाई। जूनागढ़ मेले के दौरान प्रांगण में दर्जनों खान-पान, आईसक्रीम, चाट-पकौड़ी, फास्ट फूड,खिलौनों आदि की दुकानें लगीं। इन दुकानों पर बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ रही। जूनागढ़ प्रांगण के साथ-साथ जूनागढ़ के बाहर भी दुकानें लगीं।

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