केंद्र सरकार की मजदूर-विरोधी, किसान-विरोधी और कॉर्पोरेट-समर्थक नीतियों के खिलाफ देशभर में 25 करोड़ से अधिक कर्मचारी और मजदूर देशव्यापी हड़ताल पर उतरें। बीकानेर में हड़ताल का असर देखने को मिला। विरोध स्वरूप विभिन्न संगठनों की ओर से जिला कलक्टर कार्यालय के सामने प्रदर्शन किया गया।यूनियनों का आरोप है कि सरकार ने 17 लाख करोड़ रुपये की राहत पूंजीपतियों को दी, जबकि मजदूरों और किसानों की समस्याओं को नजरअंदाज किया जा रहा है।इस हड़ताल का आह्वान 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और उनके सहयोगी संगठनों ने किया है, जिसमें अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC), हिंद मजदूर सभा (HMS), सीआईटीयू, आईएनटीयूसी, टीयूसीसी, सेवा, एआईसीसीटीयू, एलपीएफ, यूटीयूसी और अन्य शामिल हैं। इस हड़ताल को संयुक्त किसान मोर्चा और कृषि श्रमिक यूनियनों का भी समर्थन प्राप्त है।
हड़ताल की मांगें
यह हड़ताल मुख्य रूप से चार नए श्रम संहिताओं (लेबर कोड) को रद्द करने की मांग को लेकर बुलाई गई है, जिन्हें यूनियनों ने मजदूरों के अधिकारों को कुचलने वाला बताया है। इसके अलावा, पुरानी पेंशन योजना की बहाली, न्यूनतम वेतन 26,000 रुपये, ठेका नौकरियों का अंत, सरकारी विभागों के निजीकरण पर रोक, और बेरोजगारी भत्ते की मांग भी शामिल है।