बीकानेर।रामनवमी पर्व पूरे देश भर में चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को भगवान श्रीराम की पूजा-अर्चना के साथ मनाया जाता है। हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार इस दिन त्रेता युग में भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था। रामनवमी पर भगवान श्रीराम के मंदिरों में विभिन्न आयोजन कर भक्ति भाव एवं हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। बीकानेर के तेलीवाड़ा चौक स्थित प्राचीन रघुनाथ मंदिर में इस दिन भगवान श्रीराम की जन्म कुंडली के वाचन की विशेष परम्परा है। पीढ़ी दर पीढ़ी एक ही परिवार के सदस्यों की ओर से मंदिर परिसर में स्थित वीर हनुमान की प्रतिमा के समक्ष भगवान श्रीराम की जन्म कुंडली का वाचन किया जाता है। बताया जा रहा है कि पिछले 123 साल से इस मंदिर में हस्तलिखित भगवान श्रीराम की जन्म कुंडली के वाचन की परम्परा चली आ रही है।कुंडली वाचन परिवार से जुड़े पंडित लक्ष्मीनारायण रंगा बताते है कि उनके दादा ज्योतिषाचार्य पंडित शिवरतन रंगा ने इस परम्परा की शुरूआत की। उन्होंने करीब सत्तर साल से अधिक समय तक भगवान श्रीराम की कुंडली का वाचन रामनवमी के दिन किया। रंगा के अनुसार वे पिछले 32 साल से भगवान श्रीराम की कुंडली का वाचन कर रहे है। रंगा का दावा है कि देशभर में केवल बीकानेर के तेलीवाड़ा चौक स्थित रघुनाथ मंदिर में ही रामनवमी के दिन भगवान श्रीराम की जन्म कुंडली का वाचन होता है। कुंडली एक शताब्दी से अधिक पुरानी है और हस्तलिखित है। भगवान हनुमान की मूर्ति के समक्ष कुंडली का वाचन किया जाता है।
आस्था व श्रद्धा भाव से सुनते है कुंडली वाचन
रामनवमी के दिन मंदिर परिसर में होने वाले कुंडली वाचन को बड़ी संख्या में श्रद्धालु लोग आस्था और श्रद्धा भाव के साथ सुनते है। रामनवमी और कुंडली वाचन परम्परा की तैयारियां कई दिनों पूर्व शुरू हो जाती है। बच्चों से बुजुर्ग तक और महिलाएं रामनवमी के दिन भगवान श्रीराम की जन्म कुंडली को सुनने के लिए मंदिर परिसर में विशेष रूप से उपस्थित रहते है।
कुंडली का पूजन,11 क्विंटल पंचामृत का वितरण
रघुनाथ मंदिर में होने वाले कुंडली वाचन आयोजन से जुड़े विष्णु दत्त व्यास बताते है कि भगवान श्रीराम की जन्म कुंडली के वाचन से पहले जन्म कुंडली का विधि विधानपूर्वक मंदिर परिसर में पूजन किया जाता है। कुंडली वाचन के बाद श्रद्धालुओं में पंचामृत और पंजेरी के रूप में प्रसाद का वितरण किया जाता है। दूध, दही, केशर, पंचमेवा से तैयार 9 क्विंटल पंचामृत का वितरण किया जाता है। कोरोना महामारी के कारण इस बार केवल 21 अप्रेल को कुंडली वाचन की परम्परा का निर्वहन होगा। प्रसाद का वितरण नहीं होगा।

 

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