बीकानेर स्थापना दिवस अक्षय द्वितीया और अक्षय तृतीया के मौके पर शहर में पतंगबाजी के साथ गोल सूर्यानुमा राजपतंग ‘चंदा‘ उड़ाने की परम्परा भी रही है। कहा जाता है कि जब बीकानेर बसाने के बाद यहां के तत्कालीन राजा राव बीका जी ने तेज आंधियों में सूर्य न दिखने की वजह से, एक सूर्यनुमा पतंग बनाकर उसमें अपनी खुद की पगड़ी लगाकर सूर्यदेव को नमस्कार किया। तब से ये परम्परा बीकानेर में चलती आ रही है। एक समय के बाद जब राजपरिवार में चन्दा उड़ना बंद हुआ तो मथेरण जाति के लोग इसे उड़ाने लगे और उनके बन्द करने बाद कीकाणी व्यासों के चौक में हैप्पी व्यास परिवार पिछले 38 सालों से ये परम्परा निभाता चला आ रहा है। आज से कई वर्षो पूर्व नगर संस्थापक राव बीकाजी ने संवत 1545 (सन 1488) में बीकानेर की स्थापना कर सूर्य देव को नमस्कार करने के लिए गोल पतंग नुमा चंदा उड़ा सूर्यदेव से खुशहाली की कामना की। उसी परंपरा को किकाणी व्यासों के चौक स्थित व्यास परिवार कई सालों से निभा रहा हैं।

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