सोलह दिन तक चलने वाले गणगौर पर्व के तहत शुक्रवार को नव विवाहित महिलाएं गणगौर को गाजे बाजे के साथ विधिवत पूजन कर अपने घर लेकर आई। सवेरे छोटे छोटे बच्चों को दूल्हा-दुल्हन बनाकर गाजे बाजे के साथ विधिवत पूजा अर्चना कर गणगौर को घर लाया गया। गणगौर पूजन की अलग रीति क्षेत्र में प्रचलित हैं। त्योहार पर हर सुबह गणगौर माता की मंगलगीत गाते हुए पूजा अर्चना की जाती है। शाम को पूजन करने वाली बालिकाएं तथा अन्य महिलाएं किसी जलाशय से पानी लाकर दूब से उसकी पूजा करती है तथा मंगलगीत गाती हैं। वहीं सूरसागर के पास स्थित मंदिर में भी विभिन्न स्थानों से गणगौर की शोभायात्रा निकाली गई। शोभायात्रा में महिलाओं युवतियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। बैंड बाजों पर महिलाओं ने जमकर नृत्य किया।

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