श्री गंगानगर
क्रेन से 4 घंटे में 1971 में हुए युद्ध में विजय के प्रतीक टैंक नीचे उतारा गया
भारत-पाक के बीच 1971 में हुए युद्ध में विजय के प्रतीक टैंक को सुखाड़िया सर्किल स्थित स्मारक से नीचे उतारा गया है। इस कार्य को अंजाम देने में करीब 4 घंटे का समय लगा। इस वजनी टैंक को नीचे उतारने में एक क्रेन से जब पार नहंीं पड़ी तो एक और हाइड्रोलिक क्रेन मंगवाई गई।
जानकारी के अनुसार भारत-पाक युद्ध के दौरान भारतीय सेना के शौर्य के साक्षी टैंक को करीब साढे आठ साल पहले सुखाडिय़ा सर्किल स्थित नए स्मारक पर स्थापित किया गया था। 2016 में सेना के दल द्वारा इस टैंक को जिला परिषद से सुखाडिय़ा सर्किल स्थित भारत माता चौक तक लाया गया। टैंक को स्मारक स्थल पर रखवाने के लिए पांच क्रेन की मदद ली गई। इसे स्मारक स्थल पहुंचाने के लिए एक अस्थाई रैम्प भी बनाया गया था। इससे पहले यह टैंक जिला परिषद में रखा हुआ था। अमेरिका निर्मित यह टैंक भारत की शानदार जीत और पाक की शर्मनाक पराजय का प्रतीक है। बताया जाता है कि नग्गी के पास पाकिस्तानी सेना ने एक वर्ग किलोमीटर रेतीले क्षेत्र पर कब्जा कर लिया था। इस इलाके को मुक्त कराने के लिए भारतीय सेना के पैरा ट्रूपर्स को वहां भेजा गया। इस युद्ध में कई सैन्य अधिकारियों व जवानों ने शहादत देकर पाकिस्तानी सेना के कब्जे से इलाका मुक्त करवा लिया। इस युद्ध में पाक सेना के कई टैंक तबाह हुए। उनमें से एक यहां लाकर जिला परिषद परिसर में रख दिया गया था। बाद में 5 नवम्बर 2016 को इसका स्थान परिवर्तन करते हुए सुखाड़िया सर्किल स्थित नए स्मारक पर टैंक स्थापित कर दिया गया। मकसद यह था कि भारतीय सेना के शोर्य के प्रतीक इस टैंक को ज्यादा से ज्यादा लोग देखें और भारतीय होने पर गौरवान्वित कर सकें।
उल्लेखनीय है कि उस समय बनाया गया स्मारक क्षतिग्रस्त हो चुका था और नीचे बैठने लगा था। इसलिए ही टैंक को स्मारक से नीचे उतारा गया है। नगर विकास न्यास के अधिशाषी अभियंता सुरेन्द्र पूनिया ने बताया कि उस समय नगर परिषद द्वारा इस टैंक को इस अस्थाई स्मारक पर स्थापित किया गया था। अब इसे आरसीसी का बनाया जाएगा और टैंक को भी दोबारा रंग किया जाएगा। सारा स्ट्रकचर फिर से तैयार कर लाइटिंग लगाई जाएगी। इससे पहले टैंक को हरे कपड़े से कवर कर बेरिकगेटिंगस कर दी जाएगी। इस सारे कार्य पर करीब साढ़े आठ लाख रूपए खर्च होंगे। बुधवार को नया स्मारक बनाने का कार्य शुरू हो जाएगा और इस बार यह स्मारक आरसीसी का और पहले से कुछ उंचा बनाया जाएगा। उसके बाद फिर से टैंक को स्मारक पर स्थापित कर दिया जाएगा। मौके पर यूआइटी कनिष्ठ अभियंता मोहनलाल, ठेकेदार अशोक व यातायात पुलिसकर्मी मौजूद थे।
