विकसित कृषि संकल्प अभियान के तहत पलाना, बरसिंहसर और बासी गांवों में किसानों को मिला वैज्ञानिक खेती का प्रशिक्षण
(कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा प्रायोजित अभियान में कृषि वैज्ञानिकों व अधिकारियों ने की भागीदारी)
बीकानेर। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के तत्वावधान में चल रहे “विकसित कृषि संकल्प अभियान” के अंतर्गत शनिवार को बीकानेर पंचायत समिति की तीन ग्राम पंचायतों – पलाना, बरसिंहसर और बासी में कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए गए। इन कार्यक्रमों का उद्देश्य किसानों को वैज्ञानिक खेती, कृषि पोषण प्रबंधन, बागवानी के अवसर तथा सरकारी योजनाओं से जोड़ना रहा।
कार्यक्रम में काजरी बीकानेर के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. एन.एस. नाथावत ने खरीफ की फसलों जैसे ग्वार व मूंग की कम पानी में उन्नत खेती, बीज शोधन, मृदा परीक्षण और उर्वरक संतुलन पर चर्चा की। उन्होंने किसानों को बताया कि जल की सीमितता के बावजूद उचित तकनीक से अच्छा उत्पादन संभव है।
सीआईएएच बीकानेर के वैज्ञानिक डॉ. आर.पी. मीणा ने थार शोभा खेजड़ी और अन्य फलदार पौधों की बागवानी तकनीक, रोग प्रबंधन और कटिंग विधि की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि शुष्क क्षेत्रों में भी बागवानी से आय का सशक्त माध्यम तैयार किया जा सकता है।
कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) बीकानेर के कीट वैज्ञानिक डॉ. केशव मेहरा ने किसानों को खरीफ फसलों में लगने वाले कीटों से बचाव के उपाय बताए। उन्होंने मूंगफली में “गोजा लट” (White Grub) पर विशेष रूप से चर्चा की, जो मूंगफली में जड़ खाकर नुकसान करता है। उन्होंने कहा कि समय पर गहरी जुताई, जैविक नियंत्रण विधियाँ और सुरक्षित कीटनाशकों का प्रयोग इसके प्रबंधन में कारगर हैं।
संयुक्त निदेशक उद्यानिकी डॉ. दया शंकर ने किसानों को स्थानीय फलोत्पादन, पौधारोपण, और सरकारी सब्सिडी योजनाओं की जानकारी दी। उप निदेशक श्रीमती रेनू वर्मा ने किसानों के लिए चल रही बागवानी योजनाओं की जानकारी साझा की।
कृषि अधिकारी श्री रमेश चंद्र भाम्भू ने कृषि विभाग द्वारा संचालित समस्त योजनाओं की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि राजकिसान पोर्टल पर डिजिटल आवेदन प्रक्रिया से किसान अब घर बैठे योजनाओं का लाभ ले सकते हैं।
कार्यक्रम में श्री लक्ष्मण सिंह शेखावत (सहायक कृषि अधिकारी), मोहनलाल कुलड़िया, कांता रानी, कविता चौधरी सहित स्थानीय जनप्रतिनिधियों और बड़ी संख्या में किसान भाइयों और बहनों की उपस्थिति रही। किसानों ने विशेषज्ञों से सवाल पूछे और समस्याओं के समाधान भी प्राप्त किए।

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