बीकानेर। हरियाली तीज रविवार को नगर में उल्लास के साथ मनाई गई। जगह-जगह झूले लगे। महिलाओं ने विभिन्न तरह के लहरिये के वस्त्र पहनकर वातावरण को तीज मय बनाया। छतरी के पाटे लिए विख्यात दम्माणाी चौक में परपम्परागत प्रतीक रूप में मेला लगा। मेेले में खान-पान, चाट पकौड़ी,आइसक्रीम आदि के ठेले लगे। बच्चों के झुण्ड आस पास के मोहल्लों से अपने परिजनों के साथ आकर नगर के मेले की परम्परा को पुष्ट कर रहे थे।हरियाली तीज पर महिलाओं ने व्रत रखा व विविध पकवान बनाए। तीज माता का पूजन कर घर के बड़े-बुजुर्गों से अखण्ड सुहाग और मंगलमय जीवन का आर्शीवाद प्राप्त किया। प्रदेश के विभिन्न जिलों व देश के विभिन्न प्रांतों की महिलाओं ने अपनी-अपनी परम्पराओं के अनुसार तीज का पर्व मनाया। शहर में अधिकतर महिलाएं सावन तीज की अपेक्षा बड़ी तीज पर व्रत-पूजन आदि करेंगी।
देव प्रतिमाओं का दर्शन-पूजन
हरियाली तीज पर महिलाओं ने हाथों पर मेहंदी से मांडणे रचाए। पारम्परिक वस्त्रों व आभूषणों से सज-धज कर देव प्रतिमाओं का दर्शन-पूजन किया। झूला झूलने की परम्परा का निर्वहन किया। पब्लिक पार्क सहित विभिन्न स्थानों पर स्थित बाग-बगीचों में महिलाओं ने सामूहिक रूप से झूला झूलने की परम्परा निभाई। घरों में श्रीकृष्ण-राधा को झूला झूलाकर पूजा-अर्चना की गई। भगवान शिव और पार्वती का पूजन किया गया। ज्योतिषाचार्य पंडित राजेन्द्र किराडू के अनुसार हरियाली तीज को मधुस्रवा तीज, सन्धारा तीज भी कहा जाता है। व्रत पर्व विवेक में हरियाली तीज का विशेष महत्व बताया गया है।
बड़ी तीज पर्व 12 को
अखण्ड सुहाग और मंगलमय जीवन की कामना को लेकर महिलाएं भाद्रपद मास की तृतीया को बड़ी तीज का पर्व मनाएगी। दिन भर व्रत रखने के बाद रात को चन्द्रोदय पर चन्द्रमा को अघ्र्य देकर मां कजली का पूजन करेंगी व कथा सुनेगी। सत्तू चखकर व्रत का पारणा करेंगी। इससे पहले दिन झूला झूलने और देव प्रतिमाओं के दर्शन-पूजन का क्रम चलेगा। बड़ी तीज पर्व 12 अगस्त को मनाया जाएगा। इससे एक दिन पहले 11 अगस्त को धमोळी मनाई जाएगी। घर-घर में विविध पकवान बनाए जाएंगे। बड़ी तीज पर बहन-बेटियों के ससुराल सिग-सत्तू व आछरी भेजी जाएगी।