देश के विकास की आधारशिला होती है साक्षरता
विश्व साक्षरता दिवस पर जनसंपर्क कार्यालय और भारतीय प्रौढ़ शिक्षा संघ के संयुक्त तत्वावधान में संगोष्ठी आयोजित
बीकानेर, 8 सितम्बर। विश्व साक्षरता दिवस के अवसर पर सोमवार को जनसंपर्क कार्यालय तथा भारतीय प्रौढ़ शिक्षा संघ, राजस्थान शाखा के संयुक्त तत्वावधान् में सूचना केन्द्र सभागार में ‘डिजिटल साक्षरताः आज की आवश्यकता’ विषय पर संगोष्ठी आयोजित की गई।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ शिक्षाविद ओमप्रकाश सारस्वत थे। उन्होंने कहा कि आज के दौर में साक्षरता के मायने बदले हैं। अक्षरों की साक्षरता का स्थान डिजिटल साक्षरता ने ले लिया है। डिजिटल साक्षरता के अभाव में व्यक्ति बड़ी परेशानी में फंसने लगा है। दुर्भाग्य से इनमें युवाओं की संख्या सबसे बड़ी है। ऐसे में डिजिटल साक्षरता की अलख जगाना आज की बड़ी आवश्यकता है।
अध्यक्षता करते हुए भारतीय प्रौढ़ शिक्षा संघ के एसोसिएट सचिव राजेन्द्र जोशी ने कहा कि डिजिटल साक्षरता की उपादेयता को समझते हुए इस बार विश्व साक्षरता दिवस की थीम ‘डिजिटल युग में साक्षरता को बढ़ावा देना’ रखी गई है। उन्होंने साक्षरता के लिए अब तक चलाए गए अभियानों के बारे में बताया और कहा कि साक्षरता किसी भी देश के विकास की आधारशिला होती है। यह नीव जितनी सशक्त होगी, देश भी उतना मजबूत होगा।
जनसंपर्क विभाग के उपनिदेशक डाॅ. हरि शंकर आचार्य ने कहा कि विकसित देश की संकल्पना को साकार करने में साक्षरता और शिक्षा का महत्वपूर्ण योगदान है। केंद्र और राज्य सरकार द्वारा इस दिशा में सतत रूप से कार्य किया जा रहा है। अंतिम व्यक्ति तक साक्षरता की अलख जगाना हमारा दायित्व है।
मतदान के प्रति जागरुकता की अलख भी जरूरी
मतदाता जागरुकता (स्वीप) समन्वयक डाॅ. वाईबी माथुर ने निर्वाचन व्यवस्था से जुड़ी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में मतदान और मतदाता की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। प्रत्येक मतदाता को हर एक निर्वाचन में भागीदारी निभानी चाहिए। उन्होंने मतदाता पंजीकरण की अर्हताओं और इससे जुड़ी जानकारी दी। इसके लिए आवश्यक दस्तावेजों के बारे में बताया।
इस दौरान व्यंग्यकार-संपादक डाॅ. अजय जोशी, शोधार्थी डाॅ. गौरी शंकर प्रजापत, इतिहासकार डाॅ. फारुक चौहान, भवानी सोलंकी, चित्रकार योगेन्द्र पुरोहित, एड. महेन्द्र जैन ने भी विचार व्यक्त किए।
साहित्यकार राजाराम स्वर्णकार ने आगंतुकों का आभार जताया। कार्यक्रम का संचालन गोपाल जोशी ने किया।
