बच्चों के खांसी के सिरप पीने से मृत्यु मामले को लेकर पूछे प्रश्न का जवाब :

देखिए ये तो सरकार पता नहीं क्या कारण है कि इतने दिन से हम सुन रहे हैं बच्चों की डेथ हो रही है या जगह जगह पर ये प्रोब्लेम आ रही है अलवर में, भरतपुर में, पता नहीं कहां कहां पर, सीकर में भी, जब मालूम है कि राजस्थान का नाम पूरे देश के अंदर मेडिकल को लेके स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर के आज नंबर 1 पर है, पूरे देश के हर राज्य में चर्चा होती है कि राजस्थान सरकार जो पहले थी कांग्रेस की तब पच्चीस लाख का इंश्योरेंस था वो और दवाएं फ्री, सीटी स्कैन फ्री, एमआरआई फ्री, ऑपरेशन फ्री ये कहीं हिन्दुस्तान में नहीं है कहीं पर, दुनिया में भी नहीं होगा, ये स्थिति राजस्थान सरकार ने बनाई थी तब अभिनव प्रयोग कर के, मैं तो बार बार मांग करता हूं कि भारत सरकार को हमारे प्रयोग को उसका विश्लेषण करना चाहिए उसको एग्जामिन करना चाहिए कि भई किस प्रकार हमनें इसको लागू किया क्योंकि लोगों को विश्वास नहीं होता कि पच्चीस लाख का बीमा हो सकता है क्या, ऑपरेशन फ्री हो सकते हैं क्या, एमआरआई फ्री हो सकती है क्या, सीटी स्कैन फ्री हो सकती है क्या, ब्लड टेस्ट फ्री हो सकते हैं क्या, लोगों को विश्वास नहीं होता बाकी राज्यों के अंदर कैसे हुआ होगा।
मेरी मांग है केंद्र सरकार से भी अन्य राज्यों से भी, कई राज्य के लोग तो आके देख कर गए होंगे, कि इसका पूरा जो है विश्लेषण करे राजस्थान सरकार की योजनाओं का, कम से कम स्वास्थ्य योजनाओं का जिससे कि वहां के लोगों का भी भला हो, और ये संभव है, पच्चीस लाख का बीमा भी संभव है फ्री इलाज संभव है, ऑपरेशन फ्री है सारे टेस्ट फ्री हैं सीटी स्कैन फ्री है एमआरआई फ्री है, लोग विश्वास नहीं करते हैं, विश्वास नहीं करने के कारण से वो फैसला नहीं कर पा रहे हैं, भारत सरकार भी क्या कर रही है आयुष्मान भारत, इतना प्रचार किया लोगों को लोग समझते हैं कि ये स्कीम बड़ी दिखती है पांच लाख की वो भी खाली एक सोशियो इकोनॉमिक सेक्शन हुआ था डॉ. मनमोहन सिंह जी के वक्त में वो स्कीम खाली उन तक सीमित है, आम लोगों को मालूम नहीं रहता है, उनके लिए वो स्कीम है खाली, पूरे हिंदुस्तान के लोगों के लिए नहीं है।
हमारी योजना जो थी राजस्थान की वो पूरे प्रदेशवासियों के लिए, रात दिन का फर्क है। पूरी पब्लिक के लिए करना और एक वर्ग के लिए करना बहुत बड़ा फर्क होता है। अब इन बातों को अगर गहराई में नहीं जाएंगे तो फैसला नहीं कर पाएंगे वरना भारत सरकार भी फैसला कर सकती है।

कम से कम शिक्षा और स्वास्थ्य पूरी तरह फ्री होना चाहिए लोगों के लिए। जो अफोर्ड करने वाले होंगे पैसे वाले वो तो फायदा उठाएंगे नहीं वैसे ही प्राइवेट सेक्टर सेवाएं ले लेंगे बाकी लोगों को फ्री हो जाए ये सोशल सिक्योरिटी है। आप विश्वगुरु बनने की बात हम के रहे हैं तो शुरुआत यहीं से करो ।

ये गंभीरता से ले कहां रहे हैं भई ? यही तो मैं कह रहा हूं आपको, मान लो कहीं से गड़बड़ आया, पहले भी ऐसे एक घटना हुई थी आई ड्रॉप में गड़बड़ हो गई थी तो उसके बाद में बैन लग गया। ये प्राइवेट सेक्टर वाले पहले बड़े बड़े कैंप लगाते थे आई ऑपरेशन के लिए सोशल सर्विस करने के लिए उस पर रोक लग गई कि भई पूरा प्रोसेस एडॉप्ट करो, पहले परमिशन लो, दवाएं की जांच करवाओ, तो आज अगर मान लो ये सिरप वाली बात आई बच्चों के सिरप पीने की तो इमेडिएटली एक्शन होना चाहिए न।

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