बीकानेर
‘हर काम देश के नाम’
सप्त शक्ति कमान ने इंटीग्रेटेड फायरिंग एक्सरसाइज “सेंटिनल स्ट्राइक”
का आयोजन किया
Jaipur, Thursday, 30 Oct 2025
सप्त शक्ति कमान ने 28 से 30 अक्टूबर 2025 तक राजस्थान के थार रेगिस्तान के महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में इंटीग्रेटेड फायर एंड एक्सरसाइज , “सेंटिनल स्ट्राइक” का आयोजन किया।
इस अभ्यास में एकीकृत तरीके से विविध फायरिंग प्लेटफार्मों का उपयोग किया गया, जिसमें मैकेनाइज्ड फोर्सेस तथा जमीनी हथियार प्रणाली और हवाई फायरिंग शामिल थी।इस सैन्य अभ्यास में, लेफ्टिनेंट जनरल मनजिंदर सिंह, आर्मी कमांडर सप्त शक्ति कमान तथा अन्य वरिष्ठ सैन्य अधिकारी मौजूद थे।
इस युद्धाभ्यास में आधुनिक तोपखाने के हथियारों और घातक गोला-बारूद प्रणालियों द्वारा मिशन इंगेजमेंट, मैकेनाइज्ड फोर्सेस द्वारा आक्रामक जमीनी कार्रवाई और ड्रोन थ्रेट के वातावरण में जमीनी तथा हवाई प्लेटफार्मों द्वारा लाइव फायरिंग के साथ साथ काउंटर ड्रोन और सी-यूएएस ऑपरेशन शामिल थे। इसमें विभिन्न युद्ध शाखाओं के बीच व्यापक समन्वय शामिल था, जिसमें मल्टी -डोमेन परिस्थितियों में आधुनिक तकनीकों का उचित समावेश किया गया। युद्धक्षेत्र में निगरानी बढ़ाने तथा विभिन्न प्रतिभागियों के बीच ऑपरेटिंग इंटेलिजेंस जानकारी को साझा करने के लिए अत्याधुनिक निगरानी प्रणालियों और क्षमताओं की पुष्टि की गई ।
अटैक हेलीकॉप्टर, तोपें, अजेय (टी -72 टैंक) और बीएमपी जैसे अनेक फ़ोर्स मल्टीप्लायर तथा बहुउपयोगी एवं स्वदेशी रूप से निर्मित लंबी-रेंज हवाई एवं जमीनी प्रणालियाँ ने सर्विलांस आर्किटेक्चर के अनुरूप तालमेलपूर्ण तरीके से संचालन किया। फायर पॉवर की विनाशकारी प्रभावशीलता लक्ष्य पर स्पष्ट रूप दिखाई दी और आधुनिक युद्ध में कल्पित काउंटर यूएएस ग्रिड की वास्तविक प्रभावशीलता को कई काइनेटिक एवं नॉन -काइनेटिक उपायों के प्रयोग से स्थापित किया गया।
आर्मी कमांडर ने सैनिकों के प्रशिक्षण के उच्च मानदंडों की प्रशंसा की और विभिन्न लड़ाकू एवं सहयोगी शाखाओं के बीच भागीदारी तथा तालमेल की सराहना की। उन्होंने ‘आत्मनिर्भर भारत ‘ पहल के तहत शामिल स्वदेशी प्लेटफार्मों की क्षमताओं के प्रभावी उपयोग की भी प्रशंसा की। साथ ही, उन्होंने सभी रैंकों को उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन और पेशेवर दक्षता के लिए बधाई दी। और उनकी परिचालन तत्परता में सुधार हेतु निरन्तर नई लड़ाकू कार्यप्रणालियों की खोज तथा अपनी युद्धक क्षमताओं के संवर्धन की आवश्यकता पर पुनः बल दिया।
