बीकानेर। “बाबे पैदल जावणिया थे, पगा घूघरा बांध लो, बाबे रो मेळो फेर आयग्यो, भादवो फेर आयग्यो। शहर के जाने-माने भजन गायक सांवर लाल रंगा रचित इस भजन की पंक्तियां एक बार फिर से साकार हो रही है। मौका है मेले-मगरियों का। लोक देवता बाबा रामवदेवजी के पैदल जाने वाले जातरुओं के जत्थे शुरू हो गये है। बीकानेर सहित आसपास के जिलों के जातरूओं के जत्थे ढोल नगाड़ों के साथ पैदल रवानगी ले रहे है। इसको देखते हुए एक और जहां पैदल जाने वाले श्रद्धालु अपनी तैयारियों में जुट गए हैं। तो दूसरी ओर पैदल के रास्ते में उन्हें कोई परेशानी नहीं हो इसके लिए सेवादारों ने भी कमर कस ली है। बीकानेर से लेकर रामदेवरा तक पदयात्रियों की सेवार्थ शिविर लगाए जाएंगे। जहां पर उन्हें चाय-नाश्ता, भोजन, नहाने और विश्राम करने की सुविधाएं मुहैया कराई जाएगी। इसके लिए सेवा संस्थाओं ने अभी से तैयारियां शुरू कर दी है। दर्जनों संस्थाएं रहेगी सक्रिय बीकानेर से रामदेवरा के रास्ते में पैदल यात्रियों की सेवा के लिए दर्जनों संस्थाएं सक्रिय रहती है। इसमें बीकानेर के साथ ही कोलकाता,चैन्नई, मुम्बई, हैदराबाद सहित महानगरों से भी सेवादार आते हैं। इनमें कोलकाता की सर्वाधिक संस्थाएं आती है। इन संस्थाओं के सेवादार बीकानेर पहुंचने लगे है। वहीं बीकानेर की संस्थाओं की तैयारियों को मूर्त रूप दे रहे हैं। गूंजने लगे है बाबा के भजन पैदल यात्रियों की सेवा में जाने वाली संस्थाओं यहां से रवानगी से पूर्व भक्ति जागरण आयोजित करते हैं। यह जागरणों का दौर भादवा माह में लगातार चलेगा।

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