बीकानेर
मशरूम प्रोटीन से भरपूर बहुत बढ़िया चीज है, छोटे स्तर से ही इसके उत्पादन की कर दें शुरुआत – श्री ताराचंद सारस्वत, विधायक, श्री डूंगरगढ़, बीकानेर
एसकेआरएयू: मशरूम उत्पादन एवं मूल्य संवर्धन तकनीकी पर सात दिवसीय प्रशिक्षण का शुभारंभ कार्यक्रम आयोजित
बीकानेर, 07 दिसंबर। स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय में शनिवार को मशरूम उत्पादन एवं मूल्य संवर्धन तकनीकी पर सात दिवसीय प्रशिक्षण का शुभारंभ कार्यक्रम आयोजित किया गया। कृषि महाविद्यालय, बीकानेर के पादप रोग विज्ञान विभाग की मशरूम उत्पादन इकाई द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि श्रीडूंगरगढ़ विधायक श्री ताराचंद सारस्वत और विशिष्ट अतिथि वित्त नियंत्रक श्री राजेन्द्र कुमार खत्री थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति डॉ अरुण कुमार ने की।
श्रीडूंगरगढ़ विधायक श्री ताराचंद सारस्वत ने अपने उद्बोधन में कहा कि मशरूम प्रोटीन से भरपूर बहुत बढ़िया चीज है। मार्केट में इसकी खूब डिमांड है। प्रतिभागी इसका उत्पादन शुरू करें। शुरुआत छोटे स्तर से ही होती है। इसे किसान भाई खेती के साथ साथ भी कर सकते हैं। इससे उनकी आय बढ़ेगी। गांव समृद्ध होंगे तो देश भी समृद्ध होगा। उन्होंने कहा कि श्री डूंगरगढ़ मूंगफली उत्पादन को लेकर आज एशिया का सबसे बड़ा उत्पादन केंद्र है। यहां कोई मूंगफली उत्पादन की कल्पना भी नही कर सकता था लेकिन आज यहां मूंगफली, जीरा समेत कई फसल होती है। कोई भी कार्य असंभव नहीं है। उन्होने कहा कि कृषि विश्वविद्यालयों का फसल उत्पादन बढ़ाने में बहुत बड़ा योगदान रहा है।
कुलपति डॉ अरुण कुमार ने कहा कि मशरूम उत्पादन की ट्रेनिंग के बाद जो भी प्रतिभागी मशरूम का उत्पादन शुरू करेगा। उसका कार्य वे खुद उनके घर जाकर देखकर आएंगे। साथ ही ऐसे प्रतिभागियों को आगामी वर्ष फरवरी में आयोजित होने वाले किसान मेले में भी उनके उत्पादों को प्रदर्शित किया जाएगा। उन्होने कहा कि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों ने यहां ज्यादा गर्मी को देखते हुए मटके में मशरूम का उत्पादन भी शुरू किया है। खास बात ये मशरूम उत्पादन को लेकर ज्यादा जगह की जरूरत नहीं पड़ती और बेरोजगार आसानी से इसके जरिए रोजगार पा सकते हैं।
वित्त नियंत्रक श्री राजेन्द्र कुमार खत्री ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री चाहते हैं कि किसानों की आय बढ़े और वे समृद्ध बने। अब तक किसान गेहूं, बाजरा इत्यादि की ही खेती करता आया है। मशरूम जैसी नई खेती भी की जाए। इससे किसानों की आय बढे़गी। कृषि विश्वविद्यालय बीकानेर पिछले 37 सालों से किसानों के लिए कार्य कर रहा है।अनुसंधान निदेशक डॉ विजय प्रकाश ने कहा कि मशरूम विशुद्ध रूप से शाकाहारी है। इसमें 40 प्रतिशत प्रोटीन होता है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट होते हैं और यह हृदय, किडनी, शुगर, बीपी रोगियों के लिए बहुत लाभदायक है। इम्यून सिस्टम स्ट्रांग करती है इससे खांसी जुकाम नहीं होते।
वीसी के ओएसडी डॉ योगेश शर्मा ने कहा कि मशरूम मुख्यत अजमेर, जयपुर, कोटा इत्यादि जिलों में होती थी। लेकिन यहां के कृषि वैज्ञानिकों ने यहां झोंपड़ी में इसका उत्पादन कर नवाचार किया है। जो किसानों की आय बढ़ाने में सहयोग करेगी।इससे पूर्व कार्यक्रम की शुरुआत अतिथियों को साफा पहना कर और पुष्प गुच्छ भेंट कर और मां सरस्वती की प्रतिमा के आगे द्वीप प्रज्वलन से हुई।
स्वागत भाषण देते हुए पादप रोग विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ दाताराम कुम्हार ने बताया कि प्रशिक्षण में बीकानेर, चूरू, श्रीगंगानगर, जोधपुर, झुंझुनूं समेत विभिन्न जिलों के 60 से ज्यादा प्रतिभागी हिस्सा ले रहे हैं। कृषि विश्वविद्यालय की ओर से मशरूम को लेकर यह चौथी ट्रेनिंग है। उन्होने बताया कि पहले मशरूम का बीज (स्पान) हिसार और लुधियाना ने मंगवाना पड़ता था। अब एसकेआरयू ही ढींगरी, बटन और मिल्की मशरूम का बीज तैयार करता है। करीब ढाई क्विंटल बीज बेचा जा चुका है। डॉ दाताराम ने बताया कि मशरूम उत्पादन के लिए केवल दो ही चीज की आवश्यकता होती है। 22-23 डिग्री तापमान और 80 प्रतिशत आर्द्रता।कार्यक्रम के आखिर में कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ पी.के.यादव ने धन्यवाद ज्ञापित किया।मंच संचालन डॉ सुशील कुमार ने किया। कार्यक्रम में कृषि विश्वविद्यालय के डीन, डायरेक्टर, विद्यार्थी समेत बड़ी संख्या में प्रतिभागी उपस्थित रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *