बीकानेर। यह जीवन बहुत छोटा है,इसे जितना भी जिएं आनंद के साथ जिएं। पता नहीं कब अंतिम बुलावा आ जाए और आपको सब कुछ छोड़कर जाना पड़े। जीवन में आपने जितनी भी संपत्ति कमाई है वह यहीं रह जाएगी लेकिन आपके द्वारा किए गए पुण्यकार्य आपके साथ रहेंगे। यह बात श्रीराम कथा समिति के तत्वाधान में सीताराम भवन में चल रही 9 दिवसीय शिव पुराण कथा के सातवें दिन वृन्दावन से पधारे महाराज भरत शरण ने कही। उन्होंने कहा कि जन्म तो कई मिलते हैं और हरेक जन्म में आपको माता-पिता, जीवनसाथी,संतान,भोजन आदि सबकुछ मिलेगा लेकिन ईश्वर की भक्ति उस जन्म में भी मिले यह आवश्यक नहीं। इसलिए मानव जीवन में ही हमें भक्ति के माध्यम से मुक्ति को प्राप्त क रना है। शरीर रूपी गाड़ी को आप मन रूपी पहिये से ईश्वर के दर्शन और सद्कर्म की ओर ले जाएं। महाराज ने अनेक भक्ति प्रसंगों पर प्रक ाश डालते हुए त्रिपुर वध,तारकासुर वध, त्रिपुरारी,त्रिशुल,त्रिपुंड एवं कार्तिकेय चरित्र क था की महिमा का प्रसंग विस्तार से सुनाया. कहा कि भगवान शिवजी के एक बाण से तीनों त्रिपुरों का नाश होते ही सभी देवता भोलेनाथ की जय-जयकार करने लगे और उसी समय सभी देवी-देवताओं ने भोलेनाथ को त्रिपुर का अंत करने वाले त्रिपुरारी के नाम से पुकारा। मान्‍यता है तभी से भोलेनाथ को त्रिपुरारी कहा जाने लगा। इससे पहले बीकानेर व्यापार उद्योग मंडल के अध्यक्ष मनमोहन कल्याणी,नीलम कल्याणी,घनश्याम कल्याणी,कामिनी,रूपिन,राधिका कल्याणी,तेजेश,पुष्पा मून्दड़ा,डॉ सुचिता,विनित तापडिय़ा,गरिमा,गौरव डागा,आरव,अक्षय,जगदीश,शशि ने पोथी पूजन करवाया। इस मौके पर नारायण डागा,विष्णु चांडक,पवन राठी,मोहित चांडक,गोवर्धन दम्माणी,नारायण मीमाणी,लक्ष्मीनारायण बिहाणी,नारायण दम्माणी,सौरभ चांडक,दिलीप उपाध्याय,संतोष कुमार सहित बड़ी संख्या में श्रद्वालुगण उपस्थित रहे।

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