अखिल राजस्थान लैब टेक्नीशियन कर्मचारी संघ ने खेमराज कमेटी की रिपोर्ट पर नाराजगी जताई। इसको लेकर संघ की ओर से प्रदेशस्तर पर आन्दोलन के तहत बैठक की जा रही है। इसी कड़ी में आज बीकानेर में बैठक का आयोजन किया गया। जिसमें प्रदेशाध्यक्ष जितेंद्र सिंह पहुंचे। उन्होंने कर्मचारियों को संबोधित करते हुए कहा कि आज कोई भी सरकार रही हो वेतन विसंगतियां दूर करने के नाम पर सभी का एक ही फार्मूला रहा है जिसकी लाठी उसकी भैंस,विभाग हो या कमेटी लैब टेक्नीशियन की शैक्षणिक,प्रशैक्षणिक योग्यताओं के साथ संक्रमण भरे नेचर आफ जॉब को सबने दरकिनार किया है। प्रदेश के लैब टेक्नीशियन सरकार के इन अत्याचारों और भेद भाव की भावना से तंग आ चुका है और अब समय रहते ये राजस्थान की सरकार नहीं जागी तो ये लैब टेक्नीशियन अब चुप नहीं रहेगा और राजस्थान की सड़कों पर उतरेगा। सिंह ने कहा कि
ट्यूबर क्लोसिस से लेकर के स्वाइन फ्लू और विश्व स्तरीय कोविड जैसे संक्रमणों का सबसे पहले चिकित्सा विभाग में लैब टेक्नीशियन को सामना करना पड़ता है। इस साल देश को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य दिया है, जिसमें अहम योगदान जांच और जांच करने वाले लैब टेक्नीशियन का है।आज दूसरे राज्यों के लैब टेक्नीशियन को ग्रेड-पे 4200 मिल रही, लेकिन राजस्थान में उनसे उच्च शैक्षणिक एवं प्रशैक्षणिक योग्यताओं के कर्मचारी होने के बावजूद हमे ग्रेड-पे 2800 ही मिल रही है,जिसे बढ़ाया जाना चाहिए।जिला अध्यक्ष कल्याण सिंह ने कहा कि राजस्थान में चिकित्सा का बेहतर मॉडल है जिसके चलते लगभग 6 से 7 पड़ोसी राज्यों के मरीजों का भार भी रहता है,लेकिन दुख जब होता है जब पड़ोस के राज्यों में लैब टेक्नीशियन को ग्रेड पे 4200 मिल रही हो और राजस्थान में उनसे उच्च शैक्षणिक एवं प्रशैक्षणिक योग्यताओं के बावजूद भी ग्रेड पे 2800 ही मिल रही है। हम गांधीवादी तरीके से सरकार का ध्यान आकर्षित करते रहे हैं, लेकिन चिकित्सा विभाग एक संवेदनशील विभाग है यहां काम बंद करने से मरीजों को नुकसान होता है, लेकिन सरकार में लैब टेक्नीशियन की मांगों पर हमेशा अनदेखी की गई है। ना ग्रेड पे बड़ी ना कार्य के दबाव के अनुरूप स्टाफिंग पैटर्न बदला7 आज प्रदेश भर में जिलों से ज्ञापन दिए गये हैं उम्मीद है लैब टेक्नीशियन की मांगे सुनी जाएगी।अगर मांगों पर अनदेखी हुई तो आंदोलन को और उग्र किया जाएगा।
