‘चालो-चालो रुणिचे धाम,बण जासी रे थारा काम, चाल रे भायला रुणिचे मनड़े ने थारे क्यों भिंचे,लगन लगी है ध्वाजाबंध सूं आगे बढ़ता जावे।Ó गायक सांवरमल रंगा के इस भजन की पंक्तियां नाल रोड पर गूंज रही थी,जहां लोक देवता बाबा रामदेवजी के प्रति अटूट श्रद्धा और आस्था का सैलाब उमड़ रहा था। अमावस्या होने के कारण बड़ी संख्या में श्रद्धालु सोमवार को रामदेवरा के लिए पैदल रवाना हुए।जैसलमेर जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग पर इन दिनों जातरू झूमते-नाचते, बाबा के गुनगान करते जा रहे हैं। वहीं पैदल यात्रियों की सेवा के लिए भी थोड़ी-थोड़ी दूरी पर सेवादार जोर-शोर से तैयार हैं। कई संस्थाओं के सेवा शिविर शुरू हो गए हैं। अलसुबह चार बजे से रात करीब 12 बजे तक और राष्ट्रीय राजमार्ग 15 पर रातभर ‘बाबा रामदेवÓ के जयकारों व डीजे पर भक्ति गीतों की गूंज रहती है। पंजाब,हरियाणा,चूरू,सुजानगढ़,हनुमानगढ़ के विविध गांवों व कस्बों के जातरूओं के कुछ देर बीकानेर में पड़ाव डालने के कारण नगर में भी मेले का सा माहौल नजर आ रहा है। पब्लिक पार्क,रतन बिहारी पार्क,गांधी पार्क,जवाहर पार्क सहित राष्ट्रीय राजमार्गों के पास के सार्वजनिक स्थल,मंदिर परिसर व धर्मशालाएं इन जातरुओं के विश्राम के साथ चहल-पहल के प्रमुख स्थल के रूप में विकसित हो गए।बीकानेर में विश्राम व कुछ देर ठहराव करने वाले जातरुओं द्वारा आवश्यक सामग्री की खरीदारी करने के कारण पचरंगी ध्वजा,’जय बाबेरीÓ ‘ध्वजा बंद धारी की जयÓ और बाबा रामदेवजी के घोड़े सहित चित्र अंकित टीशर्ट, टॉर्च,नेकर,बनियान,गले का दुपट्टा,चश्मा की भी कई अस्थाई दुकानें रामदेवरा के लिए जाने वाले मार्गों पर खुल गई हैं। करीब 500 से अधिक स्वयं सेवी संगठनों ने जातरूओं के लिए पेयजल, चिकित्सा, विश्राम, चाय, नाश्ता व खाने की व्यवस्था की है।