राजस्थान रेरा की कार्यशाला आयोजित: राजस्थान रियल एस्टेट नियमों और प्रक्रियाओं की दी जानकारी दी
बीकानेर, 18 सितंबर। राजस्थान रेरा (रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी) द्वारा गुरुवार को जिला परिषद सभागार में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।
राजस्थान रेरा की सदस्य श्रीमती रश्मि गुप्ता ने राजस्थान रियल एस्टेट नियमों और प्रक्रियाओं के संबंध में जानकारी दी। कार्यशाला में जिला कलक्टर श्रीमती नम्रता वृष्णि, बीडीए आयुक्त श्रीमती अपर्णा गुप्ता, नगर निगम आयुक्त श्री मयंक मनीष तथा सचिव श्री कुलराज मीना मौजूद रहे। राजस्थान रेरा के डिप्टी रजिस्ट्रार श्री पुनीत कपूर ने रेरा राजस्थान, सूचना, अनुपालन और विकास प्राधिकरणों, यूआईटी और यूएलबी की भूमिकाओं पर चर्चा की। कार्यशाला में विभिन्न डेवलपर्स और संभाग के डीएलबी के प्रतिनिधि मौजूद रहे।
श्रीमती गुप्ता ने बताया कि खरीदारों के अधिकारों की सुरक्षा और रियल एस्टेट निवेश को रेगुलेटरी मापदंडों के अंतर्गत बढ़ावा देना, रियल एस्टेट संचालन में निष्पक्ष प्रक्रिया को बढ़ाना, रियल एस्टेट संचालन और विवाद समाधान में एकरूपता लाना तथा परियोजनाओं को समय पर पूरा करना और खरीदारों एवं प्रमोटरों के बीच उत्पन्न कानूनी विवादों का समाधान करना रेरा का मुख्य दायित्व है। उन्होंने बताया कि राजस्थान की 41 जिलों में कुल 3 हजार 609 रेरा पंजीकृत परियोजनाएं हैं। इनमें जयपुर, कोटा, जोधपुर, अलवर और सीकर प्रथम पांच पायदान पर हैं। इसी श्रृंखला में बीकानेर संभाग में श्रीगंगानगर की 164, बीकानेर की 46, हनुमानगढ़ की 12 तथा चूरू की 6 परियोजनाएं रेरा पंजीकृत हैं।

रेरा पंजीकरण से पूर्व प्रतिबंधों की दी जानकारी
श्रीमती गुप्ता ने बताया कि रेरा पंजीकरण से पूर्व किसी भी प्रोजेक्ट के विज्ञापन, बुकिंग या बिक्री गतिविधि शुरू नहीं की जा सकती। पंजीकरण होने तक प्री लॉन्च और विज्ञापन भी प्रतिबंधित हैं। उन्होंने रेरा पंजीकरण की आवश्यकता और इसकी प्रक्रिया के बारे में बताया तथा ऑनलाइन आवेदन, अनुमोदन, अपलोड करने तथा इसके लिए आवश्यक वित्तीय और कानूनी दस्तावेजों की जानकारी दी।

पंजीकरण डेवलपर्स और प्रमोटर्स के लिए लाभदायक
श्रीमती गुप्ता ने कहा कि रेरा पंजीकरण डेवलपर्स और प्रमोटर्स के लिए वित्तीय रूप से भी लाभदायक है। पंजीकरण पश्चात खरीदार के विश्वास में वृद्धि होती है। पेमेंट शेड्यूल की पारदर्शिता बनी रहती है तथा किसी प्रकार की परेशानी होने पर कानूनी और वित्तीय सहायता की राह खुली रहती है।

रेरा एक्ट की पालना नहीं करना कानूनन अपराध
श्रीमती गुप्ता ने बताया कि रेरा एक्ट के तहत पंजीकरण नहीं करवाना कानूनी अपराध है। गैर पंजीकरण पर परियोजना लागत का 10 प्रतिशत, गलत जानकारी, रेरा आदेशों के उल्लंघन तथा अन्य उल्लंघन पर 5 प्रतिशत जुर्माने के साथ इनके बार-बार उल्लंघन पर 3 वर्ष तक की सजा की प्रावधान है।

प्रावधानों की जानकारी से होगी सहूलियत
जिला कलेक्टर ने कहा कि रेरा की वर्कशॉप आयोजित होने से बीकानेर संभाग के डीएलबी प्रतिनिधियों और डेवलपर्स को इसके कानून और प्रावधानों की जानकारी होगी जो कि दोनों पक्षों के लिए लाभदायक सिद्ध होगी। उन्होंने कहा कि स्थानीय स्तर पर भी इसका प्रचार-प्रसार किया जाएगा। इस दौरान डेवलपर्स ने अपनी जिज्ञासाएं रखीं, जिनका जवाब श्रीमती गुप्ता ने दिया। बीडीए के निदेशक (आयोजना) श्री पुनीत शर्मा ने आगंतुकों का आभार जताया।

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