‘म्हारी गणगौर उत्सव’
बालिका से बुजुर्ग तक ने गाए गीत,किया नृत्य। शहर की 15 महिलाओं को गणगौर सस्कृति सम्मान’
शहर में ऐसा पहला आयोजन
बीकानेर।रमक झमक में ‘म्हारी गणगौर उत्सव’
में महिलाओं ने गाए पारम्परिक गणगौर गीत । बालिकाओं युवतियों व बुजुर्ग महिलाओं ने किया नृत्य। बीकानेर शहर की 11महिलाओं को ‘गणगौर सस्कृति सम्मान’ दिया गया।
रमक झमक के अध्यक्ष प्रहलाद ओझा ‘भैरुं’ ने बताया कि धींगा गवर मेले से पूर्व महिलाओं का खाश उत्सव ‘गणगौर’ पर महिलाओं को ही केंद्र में रखकर आयोजन रखा गया है ‘म्हारी गणगौर उत्सव’ ।बालिकाओं से बुजुर्ग तक ने किए गीत व नृत्य
इस उत्सव में नगर की गणगौर सस्कृति से जुड़ी बालिकाओं युवतियों और यहाँ तक कि बुजुर्ग महिलाओं ने अपनी प्रस्तुति दी। महिलाओं ने एकल व अपने अपने समूह बनाकर माँ गवरजा के पारम्परिक गीत प्रस्तुत किये। कई महिलाओं ने गणगौर नृत्य प्रस्तुत किया
आकाशवाणी की सबसे पुरानी प्रसिद्ध लोक गायिका श्रीमती पदमा व्यास ने। ने गीत व युवा वर्ग समूह ने। गीत प्रस्तुत किये। कुमारी सिद्धि जोशी ने ‘कठे सूं आई गवारा कठे सूं आयो ईसर’ व वरिष्ठ रचनाकार भारतीय जीवन बीमा की अधिकारी श्रीमती संगीता सेठी ने ‘ईसर दासजी तो पेचो बांधे’ तथा 85 वर्षीय श्रीमती रामकवरी ने गीत पर नृत्य किया ।
गीत व नृत्य से उपस्थित दर्शक झूम उठे। गरिमामय व भावमय प्रस्तुति से वातावरण गवरमय हो गया।गणगौर सस्कृति सम्मान से नवाजा
रमक झमक के अध्यक्ष प्रहलाद ओझा ‘भैरुं’ ने बताया कि पूरे नगर की 15 महिलाओं का चयन कर गणगौर सस्कृति में योगदान देने के लिये ‘म्हारी गणगौर सस्कृति सम्मान’ पत्र,स्मृति चिन्ह, रमक झमक ओपरणा तथा ‘म्हारी गणगौर’ पुस्तक भेंट कर सम्मनित किया गया।
देश भर में प्रसिद्ध गणगौर मथेरण कला में सहयोग कर आगे बढाने व गणगौर को संवारने के लिये 65 वर्षीय श्रीमती सुशिला महात्मा,गणगौर के कपड़े सिलाई,पारम्परिक ज्वेलरी,साफा पगड़ी,रंगरोगन,श्रृंगार और पारम्परिक समूह बनाकर लगातार 16 दिन घर घर व मोहल्ले में जाकर गीत गाने वाले ग्रुप की महिलाओं का सम्मान किया गया तथा गणगौर का सार्वजनिक आयोजन को आकार देने के लिये व महिला को गणगौर का स्वरूप बनाने के लिये आरती आचार्य एवं गणगौर स्वरूप बनकर देशभर में शोशल मीडिया में लाखों लोगों का ध्यान गणगौर सस्कृति की ओर आकर्षित करने वाली कु ज्योति दैया तथा बाल गवर से धींगा गवर तक हर आयोजन में अपनी कला से गणगौर का वातवरण बनाने वाली ज्योति स्वामी का सम्मान भी किया गया।
15 महिलाओं के अलावा लकड़ी से गणगौर बनाने कलाकार कन्हैयालाल सुथार व विश्व प्रसिद्ध मथेरण आर्ट की गणगौर बनाने की कला को आगे बढाने वाले सवसे वरिष्ठ मथेरण कलाकार मूलचंद महात्मा को विशिष्ट सम्मान प्रदान किया।
रमक झमक के अध्यक्ष व म्हारी गणगौर उत्सव के आयोजक प्रहलाद ओझा ‘भैरुं’ ने बताया कि इस प्रकार का पहला आयोजन बीकानेर में हुआ है जिसमें गणगौर सस्कृति से जुड़ी अलग अलग क्षेत्र व समाज की 11 महिलाओं का चयन कर सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम का संचालन नीतू आचार्य ने किया।
