भ्रष्टाचार और अव्यवस्थाओं के खिलाफ एबीवीपी का संघर्ष रंग लाया स्वामी केशवानंद कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति पद से हटाए

स्वामी केशवानंद कृषि विश्वविद्यालय में व्याप्त अराजकता और भ्रष्टाचार के खिलाफ अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का संघर्ष आखिरकार सफल हुआ है। 23 दिन तक विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता विश्वविद्यालय परिसर में अनिश्चितकालीन धरने पर डटे रहे और लगातार सरकार व प्रशासन को छात्रों की आवाज सुनाने का कार्य किया। कल राज्यपाल महोदय द्वारा कुलपति को उनके पद से हटाने का निर्णय इसी सतत आंदोलन का ही परिणाम है।
कुलपति के कार्यकाल में विश्वविद्यालय की छवि गंभीर रूप से धूमिल हुई। शिक्षा और अनुसंधान के लिए आए अनुदानों का दुरुपयोग हुआ, वित्तीय लेन-देन में पारदर्शिता समाप्त रही और नियुक्तियों में भाई भतीजावाद और पक्षपात को बढ़ावा दिया गया। अनुसंधान और प्रयोगशालाओं के लिए प्राप्त राशि का प्रयोग शैक्षणिक गतिविधियों की बजाय निजी स्वाधों में किया गया, जिससे विश्वविद्यालय का शैक्षणिक वातावरण प्रभावित हुआ। छात्रवृत्तियों, परीक्षाओं और कक्षाओं को लेकर भी निरंतर लापरवाही बरती गई, जिसके चलते हजारों छात्रओं का भविष्य संकट में पड़ गया। कुलपति का तानाशाहीपूर्ण रवैया और छात्रों व कर्मचारियों की समस्याओं के प्रति उदासीनता ने इस संकट को और गहरा कर दिया।ऐसी परिस्थितियों में विद्यार्थी परिषद ने पहले चरण में शांतिपूर्ण ढंग से ज्ञापन देकर और वार्ताओं के माध्यम से समाधान निकालने का प्रयास किया, किंतु जब कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो कार्यकर्ताओं ने संघर्ष का मार्ग चुना। विश्वविद्यालय परिसर में शुरू हुआ धरना धीरे-धीरे आंदोलन का रूप लेता गया और सैकड़ों छात्र-छात्राएँ इसमें शामिल हुए। परिषद ने भ्रष्टाचार और अव्यवस्थाओं के प्रमाण सरकार व प्रशासन के समक्ष प्रस्तुत किए और यह स्पष्ट किया कि जब तक विश्वविद्यालय को ईमानदार और पारदर्शी नेतृत्व नहीं मिलता, तब तक छात्र पीछे नहीं हटेंगे।प्रांत एग्रीविज़न संयोजक नवीन चौधरी ने कहा कि यह केवल छात्रों की नहीं, बल्कि सत्य और न्याय की जीत है। जिस कुलपति ने विश्वविद्यालय को भ्रष्टाचार का केंद्र बना दिया था और छात्रों की आवाज दबाने का प्रयास किया, उसका पद से हटना आवश्यक था। यह निर्णय छात्रों के संघर्ष और एकजुटता की ताक़त को दर्शाता है। अब हमारी अपेक्षा है कि शीघ्र ही एक योग्य, ईमानदार और छात्रहितैषी कुलपति की नियुक्ति की जाए, ताकि विश्वविद्यालय पुनः शिक्षा और अनुसंधान का केंद्र बन सके और छात्रों को उनका हक़ मिल सके। विद्यार्थी परिषद का यह आंदोलन यह साबित करता है कि यदि छात्र एकजुट होकर आवाज उठाएँ तो किसी भी अन्याय को समाप्त किया जा सकता है। परिषद का संकल्प है कि आने वाले समय में भी छात्रों के हितों और शिक्षा की गुणवत्ता के लिए यही संघर्ष और प्रयास जारी रहेगा।

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