बीकानेर. इस वर्ष का अंतिम और
सबसे लंबा खग्रास चंद्रग्रहण रविवार को बीकानेर में भी दिखा। जहां श्रद्धालुओं ने घरों, मोहल्लों और मंदिर परिसरों में भजन-कीर्तन और मंत्र-जाप किए, वहीं विज्ञान और खगोल विज्ञान में रुचि रखने वाले लोगों ने टेलिस्कोप के माध्यम से इस अद्भुत खगोलीय घटना का अवलोकन किया। ग्रहण रात 9:57 बजे शुरू होकर मध्यरात्रि 1:27 बजे समाप्त हुआ और लगभग साढ़े तीन घंटे तक जारी रहा। हालांकि, बीच-बीच में बादल भी आवाजाही करते रहे। जूनागढ़ स्थित फर्नीचर गली में विद्यार्थियों और विज्ञान में रुचि रखने वाले लोगों ने टेलिस्कोप के माध्यम से चंद्रग्रहण का अध्ययन किया। महात्मा गांधी इंग्लिश मीडियम स्कूल के शिक्षक अनिल थानवी ने प्रकाश और छाया के खेल को समझाया और बताया कि यह खगोलीय घटना वैज्ञानिक चेतना के माध्यम से ही पूरी तरह देखी जा सकती है। अजित फाउंडेशन में भी बच्चों और शोधकर्ताओं के लिए टेलिस्कोप की व्यवस्था की गई, जिससे उन्हें चंद्रग्रहण की लंबी अवधि और खगोलीय महत्व के बारे में विस्तृत जानकारी मिली।
भजन-कीर्तन और सत्संग की गूंजः ग्रहण के दौरान श्रद्धालु घरों,
गली-मोहल्लों और सार्वजनिक स्थानों पर भजन-कीर्तन, मंत्र जाप और सत्संग में लगे रहे। मंदिरों के निजी कपाट बंद रहे। देव मूर्तियों का पूजन और स्पर्श निषेध रहा। अन्न और जल का ग्रहण निषेध रहा। गायों को गुड़, कुत्तों को रोटियां खिलाई गई। ग्रहण समाप्ति के बाद श्रद्धालुओं ने स्नान किया, देव मूर्तियों के दर्शन किए और दान-पुण्य किया। इस दौरान चौक-चौराहों पर सामूहिक सत्संग और प्रभु नाम स्मरण का माहौल बन गया। इस दौरान रात 11.05 बजे पूर्णचंद्रगहण देखा गया।

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