बीकानेर में मिलिट्री इंटेलिजेंस और पुलिस की संयुक्त कार्रवाई : दुकानों से बरामद हुई सेना की वर्दी का कपड़ा, राष्ट्रीय सुरक्षा पर गहराया संकट
बीकानेर | 11 सितम्बर 2025
मरुस्थलीय शहर बीकानेर में शुक्रवार को मिलिट्री इंटेलिजेंस और कोटगेट पुलिस की संयुक्त कार्रवाई ने हड़कंप मचा दिया। शहर के व्यस्ततम बाज़ारों में औचक छापेमारी कर सेना की वर्दी का कपड़ा बड़ी मात्रा में बरामद किया गया। कार्रवाई कोटगेट थाना क्षेत्र में हुई, जिसमें सुभाष मार्ग (पूर्व जिन्ना रोड) और मुख्य कोटगेट मार्केट शामिल रहे।
इस अचानक हुई कार्रवाई में कई प्रतिष्ठान निशाने पर रहे। जिनमें सुभाष फुटवियर शॉप और तीन भाइयों की दुकान प्रमुख हैं। दुकानों से मिले कपड़े की वीडियोग्राफी कराई गई ताकि आगे की कानूनी प्रक्रिया में प्रमाणिकता बनी रहे।
मिलिट्री इंटेलिजेंस की चेतावनी
मिलिट्री इंटेलिजेंस अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि सेना की वर्दी का कपड़ा खुले बाज़ार में बेचना केंद्र सरकार की गाइडलाइंस के खिलाफ है। बिना अनुमति ऐसे कपड़े की बिक्री राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है।
“सेना की वर्दी को दोहराना या बिना निगरानी बेचना प्रतिबंधित है। इसकी खुली बिक्री से आतंकियों या असामाजिक तत्वों को फायदा मिल सकता है, जो सैनिक बनकर घुसपैठ, आतंकी हमले या तोड़फोड़ कर सकते हैं,” एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने बताया।
अधिकारी ने कहा कि वर्दी केवल पहनावे का प्रतीक नहीं, बल्कि भारतीय सेना की पहचान और जनता का विश्वास है। उसका दुरुपयोग पूरे सुरक्षा ढांचे को खतरे में डाल सकता है।
बीकानेर का युवक जांच के घेरे में
पुलिस सूत्रों के अनुसार इस कार्रवाई में अनिश कुमार, पुत्र किशन कुमार, उम्र 23 वर्ष, निवासी जेएनवी कॉलोनी (गुरुद्वारे के सामने), बीकानेर का नाम सामने आया है। फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि वह सीधे बिक्री में शामिल था या केवल सप्लाई चैन का हिस्सा।
हालांकि सेना की ओर से अब तक औपचारिक एफआईआर दर्ज नहीं कराई गई है। रिपोर्ट दर्ज होने के बाद ही जब्त कपड़े को सील कर सबूत के रूप में अदालत में पेश किया जाएगा। फिलहाल कपड़े का स्टॉक पुलिस और सैन्य अधिकारियों की निगरानी में रखा गया है।
सुरक्षा के मद्देनज़र भारी पुलिस बल
कार्रवाई की संवेदनशीलता को देखते हुए शहर पुलिस का जाब्ता मौके पर तैनात किया गया। छापेमारी के दौरान भारी भीड़ एकत्रित हो गई थी, लेकिन सुरक्षा घेरा इतना मजबूत था कि कोई बड़ी गड़बड़ी नहीं हुई। दुकानों से कपड़े हटाने और पैक करने का काम पुलिस और मिलिट्री इंटेलिजेंस ने सख्त निगरानी में पूरा किया।
राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा
स्थानीय बाज़ार में सेना की वर्दी का कपड़ा मिलना विशेषज्ञों को गहरी चिंता में डाल गया है। उनका मानना है कि इस कपड़े से नकली वर्दी तैयार कर आतंकवादी या अपराधी सैनिकों का रूप धारण कर सकते हैं।
जम्मू-कश्मीर सहित कई बार देश ने ऐसे हमले झेले हैं, जिनमें आतंकी सेना की वर्दी पहनकर सुरक्षा बलों या नागरिकों पर हमला कर चुके हैं। ऐसे मामलों में असली और नकली वर्दीधारी में फर्क करना मुश्किल हो जाता है और इसका सीधा खामियाजा जनता और सुरक्षाबलों को भुगतना पड़ता है।
पुलिस और प्रशासन पर सवाल
कार्रवाई भले ही महत्वपूर्ण रही हो, लेकिन सवाल उठ रहे हैं कि बीकानेर जैसे संवेदनशील और सैन्य दृष्टि से अहम शहर में यह कपड़ा खुले आम कैसे बिक रहा था। आलोचक स्थानीय पुलिस और प्रशासन की निष्क्रियता को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
सबसे बड़ी आलोचना यह है कि अब तक औपचारिक एफआईआर क्यों दर्ज नहीं हुई। विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक त्वरित कानूनी कार्रवाई नहीं होती, तब तक यह केवल प्रतीकात्मक छापेमारी ही मानी जाएगी।
राजस्थान के लिए बड़ा खतरा
बीकानेर की यह घटना अकेली नहीं मानी जा रही। पिछले वर्षों में राजस्थान और अन्य सीमा राज्यों में भी सेना की नकली वर्दी या कपड़े मिलने की घटनाएँ सामने आ चुकी हैं। राजस्थान की लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा और यहां मौजूद सैन्य ठिकानों के चलते यह इलाका संवेदनशील माना जाता है।
बीकानेर महाजन फील्ड फायरिंग रेंज और सीमा सुरक्षा के लिहाज से अहम है। ऐसे में यहां सेना की वर्दी का अवैध व्यापार होना सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक बड़ा अलार्म है।
आगे की राह
अब निगाहें इस पर टिकी हैं कि सेना कब तक औपचारिक रिपोर्ट दर्ज कराती है और पुलिस जांच में किस हद तक नेटवर्क का खुलासा कर पाती है। यह भी सवाल है कि यह कपड़ा स्थानीय स्तर पर ही तैयार हुआ या किसी बड़े सप्लाई चैन से यहां पहुँचा।
फिलहाल इतना साफ है कि यह केवल कपड़े का मामला नहीं, बल्कि भारतीय सैनिक की पहचान की सुरक्षा का सवाल है। जैसा कि एक सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी ने कहा –
“सेना की वर्दी में केवल कपड़ा नहीं, बल्कि सैनिक का मान-सम्मान और देश की जनता का विश्वास निहित होता है। जब यह गलत हाथों में पड़ती है, तो पूरा सुरक्षा तंत्र खतरे में पड़ जाता है

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