प्रेस नोट
कलेक्ट्रेट पर विश्व मानवाधिकार दिवस के अवसर पर सम्राज्यवाद और मनुवाद के खिलाफ विरोध दर्ज करवाया
विश्व मानवाधिकार दिवस के अवसर पर आज जनवादी महिला समिति और सावित्री बाई फुले एजुकेशनल एन्ड सोशल अवेयरनेस फेडरेशन के संयुक्त तत्वावधान में कलेक्ट्रेट पर सम्राज्यवादी और मनुवादी नीतियों के खिलाफ नारों के साथ विरोध दर्ज कराते हुए मानवाधिकार संरक्षण की मांग उठाई। इस मौके पर महिलाओं पर बढ़ते अत्याचार, असमानता, सामाजिक भेदभाव और लोकतांत्रिक अधिकारों पर हो रहे हमलों पर गंभीर चर्चा हुई। विरोध प्रदर्शन में महिलाओं, युवाओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों ने भागीदारी की।
अपने संबोधन में एडवा की प्रदेश महासचिव डॉक्टर सीमा जैन मानवाधिकार आंदोलन के इतिहास और इसके महत्व को याद करते हुए कहा कि मानवाधिकार सिर्फ कागज़ों में लिखी पंक्तियाँ नहीं, बल्कि हर महिला-पुरुष के जीवन का मूल अधिकार हैं—जिन्हें सुरक्षित रखना समाज और शासन दोनों की जिम्मेदारी है।
उन्होंने कहा कि आज देश में महिलाओं व दलित-गरीब तबकों पर हिंसा बढ़ रही है। श्रम अधिकार, सामाजिक सुरक्षा, रोजगार का अधिकार, शिक्षा-स्वास्थ्य जैसे बुनियादी अधिकार लगातार कमजोर किए जा रहे हैं। उन्होंने इस बात पर चिंता व्यक्त की गई कि लोकतांत्रिक संस्थानों को कमजोर करने और लोगों की आवाज़ दबाने की कोशिशें मानवाधिकारों का सीधा उल्लंघन हैं।
सावित्री बाई फुले एजुकेशनल एंड सोशल अवेयरनेस फेडरेशन के अध्यक्ष डॉक्टर कप्तान चंद और डॉक्टर भारती सांखला ने कहा कि महिलाओं, दलितों और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा, सम्मान और बराबरी का अधिकार केवल नारे नहीं, बल्कि धरातल पर लागू होने चाहिए। इसके लिए जनसंगठनों, नागरिक समाज और सरकार सभी को मिलकर ठोस कदम उठाने होंगे।
इस मौके पर यह संकल्प लिया गया कि समिति गांव-कस्बों में मानवाधिकार जागरूकता अभियान तेज करेगी, महिला हिंसा के खिलाफ सामूहिक मंच तैयार करेगी और श्रम-सामाजिक अधिकारों पर हो रहे हमलों का मजबूती से प्रतिरोध करेगी।
अंत में मानवाधिकारों की रक्षा और लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत करने का संकल्प लिया गया। आयोजन की अध्यक्षता जिला अध्यक्ष शारदा सियाग व जिला सचिव फरजाना ने संचालन किया। कार्यक्रम में डॉक्टर दुर्गा चौधरी, डॉक्टर सुमन चौधरी, एडवोकेट सुमन आरा उर्मिला बिश्नोई, रमजानी,जेता सारण, राजश्री छिंपा,कुसुम डूडी, रजिया बानो,शांति,रहमत तथा अन्य शामिल हुए।
