शहर में मकर संक्रान्ति के पर्व पर कई तरह के धार्मिक आयोजन किए गए. जहां लोगों ने गायों को चारा डालाकर पुण्य कमाया. वहीं सेवा संस्थाओं ने लोगों के लिए भण्डारे का भी आयोजन किया।
बीकानेर में लक्ष्मीनाथ मंदिर, पब्लिक पार्क स्थित शनिदेव मंदिर, जूनागढ़ के बड़ा हनुमान मंदिर, गढ़ गणेश, नागणेचीजी तथा शिवबाड़ी सहित अनेक मंदिरों में दान-पुण्य का दौर चला।मान्यता है कि इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है और उत्तरायण हो जाता है. उत्तरायण को सकारात्मकता का प्रतीक माना गया है. मकर संक्रांति पर सूर्य की राशि में हुआ परिवर्तन अंधकार से प्रकाश की ओर अग्रसर होने का प्रतीक है. प्रकाश अधिक होने से प्राणियों की चेतना एवं कार्यशक्ति में वृद्धि होती है. इसलिए पूरे भारत में इस अवसर पर लोग विविध रूपों में सूर्य की उपासना करते हैं. इसी के साथ इस दिन अन्न की पूजा होती है और प्रार्थना की जाती है कि हर साल इसी तरह हर घर में अन्न-धन भरा रहे. इसी के साथ हर कोई इस पर्व को अपने रीति-रिवाजों के अनुसार मनाता है।
