सुहागिन महिलाओ ने अपने सुहाग की रक्षा के लिए पूरे विधि विधान के साथ वट सावित्री व्रत कर वटवृक्ष की पूजा की। बताया जाता हैं कि ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाए जाने वाले इस व्रत में वट और सावित्री की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बरगद की जड़ में ब्रम्हा, मूल भाग में भगवान विष्णु और अग्रभाग में देवाधिदेव महादेव स्थित होते हैं।देवी सावित्री वटवृक्ष में ही प्रतिष्ठित रहती हैं।कहते हैं कि इसी पेड़ के नीचे सावित्री ने अपने पति को यमराज से वापस पाया था। तभी से इसे वट सावित्री के नाम से जाना जाने लगा।
बीकानेर। धर्म और न्याय के प्रतीक शनिदेव की जयंती गुरुवार को तेलाभिषेक और पूजा-अर्चना के साथ मनाई गई। भगवान शनिदेव का तिल के तेल से अभिषेक किया गया और शनि के दोषो से मुक्ति और कृपा प्राप्त करने के लिए विभिन्न वस्तुओं का दान किया गया। शहर में विभिन्न स्थानों पर स्थित शनि मंदिरों में अभिषेक और पूजा-अर्चना की गई।
श्रद्धालु लोगों ने भगवान शनिदेव की पूजा-अर्चना, व्रत-उपासना कर शनि स्त्रोत पाठ और वैदिक मंत्रों का जाप किया। जरुरतमंद लोगों को भोजन करवाया। शनि जयंती पर लोगों ने भगवान शिव का अभिषेक किया और भगवान हनुमान की भी पूजा-अर्चना की। पीपल के वृक्ष के समक्ष तिल के तेल का दीप प्रज्जवलित किया। शनि जयंती पर काला वस्त्र, काला तिल, लोहे का पात्र, काला उड़द, गुलाब जामुन, काला कंबल का दान किया। निशक्तजन और जरुरतमंद लोगों को भोजन करवाया गया। पशु-पक्षियों के लिए पानी, हरा चारा और दाना की व्यवस्था की गई।

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