बीकानेर। हजरत इमाम हुसैन की याद में बुधवार शाम गमगीन माहौल में ताजिये ठंडे किए गए। नम आंखों से ताजियों को अंतिम विदाई दी गई। आशूरा का रोजा रखा गया और नवाफिल पढ़े। घरों में हलवा, पूड़ी बनाए गए और ताजियों पर चढ़ाए गए। सुबह ताजिये अपने क्षेत्रों में गश्त पर निकले। मर्सिया पढ़ी गई।दिनभर जियारत के बाद शाम को जब ताजियों के उठने का समय आया तो अकीदतमन्दों की आंखें भर आई।मोहल्ला चूनगरान से शुरू हुआ ताजियों का जुलूस ब्रह्मपुरी चौक, सोनगिरी कुआं होते हुए दाऊजी रोड पहुंचा। वहां आसपास के इलाकों के ताजिये शामिल हो गए।
जुलूस में अलम भी शामिल थे। ढोल-ताशों के अखाड़ों के साथ जुलूस मोहल्ला व्यापारियान होते हुए चूनगरान तलाई स्थित बड़ी कर्बला पहुंचा, जहां अन्य क्षेत्रों के ताजिये शामिल हो गए। बड़ी कर्बला में मातमी माहौल में ताजिये ठंडे किए गए। ताजियों की जुलूस के दौरान पुलिस ने पुख्ता इंतजाम किए।मिट्टी का ताजिया सोनगिरि कुआं क्षेत्र में मिट्टी का ताजिया उक्त स्थान पर ही ठंडे किए। उस्तों का ताजिया नोहा,सलाम के बाद इमाम बाड़े में रख लिया गया। बड़ा बाजार क्षेत्र के ताजिये शीतला गेट से बाहर पुरानी कर्बला में ठंडे किए गए।
दमामियान का ताजिया उनके कब्रिस्तान में ठंडा किया गया। इसके अलावा रुई,सरसों के ताजिये व उस्ता आर्ट सहित कई तरह के कलात्मक ताजिये आकर्षण का केन्द्र रहे।
गंगा-जमुनी संस्कृति साकार ताजियों का जुलूस निकला तो बीकानेर की गंगा-जमुनी संस्कृति साकार हो उठी। एक तरफ ताजियों का जुलूस निकल रहा था, तो दूसरी तरफ चूनगरान मोहल्ले में जोशी परिवार की ओर से अकीदतमंदों के लिए शीतल जल की व्यवस्था की गई,
ताकि गर्मी से राहत मिले। वहीं ताजियों के नीचे गुजरने की परम्परा का निर्वाह भी किया गया। मंगलवार को हिन्दू परिवार की महिलाएं बच्चों की कुशलक्षेम के लिए उनको गोद में उठाकर ताजियों के नीचे से निकली। अंजुमन इंतजामिया कमेटी की ओर से श्रेष्ठ ताजियादारों का सम्मान किया गया। इस मौके पर पूर्व मंत्री डॉ बी डी कल्ला ने पुरस्कार प्रदान किया।
